धर्म संसार

एक गाँव के पुजारी, मेहनत और ईमानदारी से जो मिल जाया करता था, उसी से परिवार का गुजारा कर लेते थे। और दूसरी तरफ उसी गाँव में कुछ लोग जो बेईमानी और धोखा -धड़ी करके धनवान हो गये थे। पुजारी की पत्नी अक्सर ताना देती थी कि, ईमानदारी से कुछ नहीं मिलेगा, ऐसे ही घूमते रहो, कुछ सीखो गांव वालों से कैसे महल पे महल बनाते जा रहे हैं।

पुजारी कहता कोई बात नहीं यह हमारे धर्म का ही प्रभाव है जो उनका धन बढ़ रहा है और गाँव खुशहाल है। एक दिन पुजारिन चिढ़कर बोली तुम्हारे धर्म से तुम्हें लाभ नहीं मिल रहा दूसरे को कैसे लाभ मिल जाएगा। पुजारी ने कहा चलो तुम्हें इसका सबूत दिखा देता हूं। इसके बाद पुजारी ने गांव छोड़ने का मन बना लिया और घर में जो भी चीजें थी उन्हें गठरी में बांधकर घर से चलना शुरू कर दिया।

जब गांव की सीमा से बाहर निकल आए तो पीछे पलट कर देखा। पुजारी ने अपनी पत्नी से पूछा घर में कुछ रह तो नहीं गया। पुजारिन ने याद किया कि एक सूई रह गयी है। पुजारी घर लौटकर आया और सूई लेकर वापस गांव की सीमा से बाहर निकल आया। इस बार जैसे ही उसने पीछे पलट कर देखा तो पूरा गांव में आग जलती हुई नज़र आयी। सभी महल धू-धू करके जलते हुए नज़र आ रहे थे। पुजारी ने कहा, मानो हमारे गांव छोड़ने के बाद भी हमारी सुई गांव की की रक्षा कर रही थी। जब हमारे धर्म और ईमानदारी से सूई में इतनी शक्ति आ गयी है तो हमारे गांव में रहने से लोग क्यों न उन्नत होंगे।

आज समाज में बहुत से ऐसे लोग हैं, जो सोचते हैं कि मेहनत और ईमानदारी से काम करने के बावजूद आर्थिक स्थिति में कोई सुधार नहीं हो रहा है जबकि दूसरी तरफ भष्ट लोग दिन ब दिन धनी होते जा रहे हैं। इससे मन में निराश होता और लोगों ईमानदारी को बोझ समझकर उसी कीचर में उतरने की कोशिश करते हैं जिसमें डूबकर भ्रष्ट लोग धनवान हो रहे हैं। ऐसा करने से हो सकता है कि धन आ जाए लेकिन धर्म का लोप हो जाता है।

हिन्दू शास्त्रों में कहा गया है कि धर्म की एक लौ भी संसार को रौशन कर देती है और अधर्म के कई मशाल मिलकर भी एक छोटे से हिस्से का अंधियारा दूर नहीं कर पाते। अगर सभी लोग भ्रष्टाचार और बेमानी करने लगे तो धर्म का पूरी तरह नाश हो जाएगा। गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा गया है कि जब-जब धर्म का नाश होता है तब-तब धर्म की स्थापना के लिए मैं अवतार लेता हूं। भगवान का जब अवतार होता है तब महाभारत, राम रावण युद्ध जैसी घटना होती है, जिसमें अनगिनत लोगों को अपनी जान की अहूति भी देनी पड़ती है।

धर्म का नाश होते ही संसार का भी नाश होने लगता है, इसके पश्चात् धन भी नहीं बचता। इसलिए जरूरी है कि धर्म की रक्षा करें और ईमानदारी की लौ हमेशा जलाए रखें। ईमानदारी के रास्ते में शुरू में कष्ट महसूस हो सकता है लेकिन अंत में संतोष रूपी अद्भुत धन मिलता है। इस धन से भले ही भौतिक चीज न खरीद सकें लेकिन इससे संसार की सबसे कीमती चीज यानी ईश्वर की भक्ति अवश्य प्राप्त कर सकते हैं।